Wednesday, July 18, 2018

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन 
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन 
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 

ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन 
ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन 

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन 
आ.. हा.. आहा.. आ..

इसकी मिट्टी से बने तेरे मेरे ये बदन 
इसकी धरती तेरे मेरे वास्ते गगन 
इसने ही सिखाया हमको जीने का चलन 
जीने का चलन.. 
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 
ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन  
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन

अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनायेंगे 
कोना-कोना अपने देश का सजायेंगे 
जश्न होगा ज़िन्दगी का, होंगे सब मगन 
होंगे सब मगन.. 
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 
ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन 

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन 
शांति का उन्नति का प्यार का चमन 

इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन 
ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन 
ए वतन, ए वतन, ए वतन 
जानेमन, जानेमन, जानेमन..

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || ध्रु ||

हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है
जहॉं सिंह बन गये खिलौने, गाय जहॉं मॉं प्यारी है
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है || 1 ||

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है || 2 ||

जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है || 3 ||

छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी
नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी

आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं
चांद के दर पर जा पहुंचा है आज ज़माना
नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी
हम हिन्दुस्तानी...

हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
कितने हैं अजंता हम को और सजाने
अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया खून है...

आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
अपने हाथों से अपना भगवान बनाएं
राम की इस धरती को गौतम की भूमि को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया खून है...

दाग गुलामी का धोया है जान लुटा के
दीप जलाए हैं ये कितने दीप बुझा के
ली है आज़ादी तो फिर इस आज़ादी को
रखना होगा हर दुश्मन से आज बचा के
नया खून है...

हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
मिट्टी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है चांदी की जमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है...

भारत हमको जान से प्यारा है

भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है
सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है
भारत माँ की रक्षा में जीवन कुर्बान है

उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन
गुमराह ना कर दे कोई, बरबाद ना कर दे कोई
मंदिर यहाँ, मस्जिद वहाँ, हिन्दू यहाँ, मुस्लिम यहाँ
मिलते रहें हम प्यार से, जागो

हिन्दुस्तानी नाम हमारा है, सबसे प्यारा देश हमारा है
जन्मभूमि है हमारी शान से कहेंगे हम
सभी ही तो भाई-भाई प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है

आसाम से गुजरात तक, बंगाल से महाराष्ट्र तक
जाति कई, धुन एक है, भाषा कई, सुर एक है
कश्मीर से मद्रास तक, कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं, जागो

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे |

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे |
पर दुख्खे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आने रे ||

सकल लोक मान सहने वन्दे, निंदा न करे केनी रे |
वाच काछ मन निश्छल राखे, धन धन जननी तेनी रे ||

सम दृष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे |
जिव्हा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाली हाथ रे ||

मोह माया व्यापे नहीं जेने, दृढ वैराग्य जेना मन मा रे |
राम नाम शून ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मान रे ||

वन लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्य रे |
भने नरसैय्यो तेनुं दर्शन करत, कुल एकोतेर तार्य रे ||

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे |

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे |
पर दुख्खे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आने रे ||

सकल लोक मान सहने वन्दे, निंदा न करे केनी रे |
वाच काछ मन निश्छल राखे, धन धन जननी तेनी रे ||

सम दृष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे |
जिव्हा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाली हाथ रे ||

मोह माया व्यापे नहीं जेने, दृढ वैराग्य जेना मन मा रे |
राम नाम शून ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मान रे ||

वन लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्य रे |
भने नरसैय्यो तेनुं दर्शन करत, कुल एकोतेर तार्य रे ||

नदियाँ चले चले रे धारा


नदियाँ चले चले रे धारा - Nadiya Chale Chale Re Dhara (Manna Dey, Safar)
Movie/Album: सफ़र (1970)
Music By:
कल्याणजी-आनंदजी
Lyrics By:
इन्दीवर
Performed By:
मन्ना डे

नदिया चले, चले रे धारा
चंदा चले, चले रे तारा
तुझको चलना होगा
तुझको चलना होगा

जीवन कहीं भी ठहरता नहीं हैं
आँधी से, तूफां से डरता नहीं हैं
तू ना चलेगा, तो चले तेरी राहें
मंज़िल को तरसेगी तेरी निगाहें
तुझको चलना होगा...

पार हुआ वो रहा जो सफ़र में
जो भी रुका, घिर गया वो भंवर में
नाव तो क्या, बह जाये किनारा
बड़ी ही तेज समय की हैं धारा
तुझको चलना होगा...

तू कितनी अच्छी है

तू कितनी अच्छी है - 

तू कितनी अच्छी है
तू कितनी भोली है
प्यारी-प्यारी है
ओ माँ, ओ माँ
ये जो दुनिया है
ये बन है काँटों का
तू फुलवारी है
ओ माँ, ओ माँ
तू कितनी अच्छी है...

दूखन लागी है माँ तेरी अँखियाँ
मेरे लिए जागी है तू सारी-सारी रतियाँ
मेरी निंदिया पे, अपनी निंदिया भी, तूने वारी है
ओ माँ, ओ माँ
तू कितनी अच्छी है...

अपना नहीं तुझे सुख-दुख कोई
मैं मुस्काया, तू मुस्काई, मैं रोया, तू रोई
मेरे हँसने पे, मेरे रोने पे, तू बलिहारी है

गंगा बहती हो क्यों

गंगा बहती हो क्यों - Ganga Behti Ho Kyon (Bhupen Hazarika)
Lyrics By: नरेन्द्र शर्मा (हिन्दी)
Performed By:
भूपेन हज़ारिका, कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन, शान

औशोमिया (Assamese)
बिस्तिर्नो पारोरे, ओखोंक्यो जोनोरे
हाहाकार क्सुनिऊ निशोब्दे निरोबे
बुरहा लुइत तुमि, बुरहा लुइत बुआ कियो?

हिन्दी
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम
ओ गंगा बहती हो क्यूँ?

नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार
निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ?

अनपढ़ जन अक्षरहिन
अनगीन जन खाद्यविहीन
नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ?
इतिहास की पुकार...

व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती ना क्यूँ?
इतिहास की पुकार...

रुदस्विनी क्यूँ न रहीं?
तुम निश्चय चितन नहीं
प्राणों में प्रेरणा देती ना क्यूँ?
उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी
गंगे जननी, नव भारत में
भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ?
विस्तार है अपार...


दिल हूम हूम करे - भूपेन हजारिका
 
दिल हूम हूम करे, घबराए
घन धाम धाम करे, डर जाए
इक बूँद कभी पानी की
मोरी अंखियों से बरसाए

तेरी झोरी डारूं सब सूखे पात जो आये
तेरा छूंआ लागे, मेरी सुखी डार हरियाए
दिल हूम हूम करे...

जिस तन को छुआ तुने, उस तन को छुपाऊँ
जिस मन को लगे नैना, वो किसको दिखाऊँ
ओ मोरे चन्द्रमा, तेरी चांदनी अंग जलाए
ऊंची तोर अटारी, मैंने पंख लिए कटवाए
दिल हूम हूम करे...

अब लौं नसानी, अब न नसैहों।

अब लौं नसानी, अब न नसैहों। रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥ पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं। स्याम रूप सुचि रुचिर कस...