गवना कराइ सैंया घर बइठवले से,
अपने लोभइले परदेस रे बिदेसिया।।
चढ़ली जवनियाँ बैरन भइली हमरी रे,
के मोरा हरिहें कलेस रे बिदेसिया।।
दिनवाँ बितेला सइयाँ वटिया जोहत तोरा,
रतिया बितेला जागि-जागि रे बिदेसिया।।
घरी राति गइले पहर राति गइले से,
धधके करेजवा में आगि रे बिदेसिया।।
आमवाँ मोररि गइले लगले टिकोरवा से,
दिन-पर-दिन पियराय रे बिदेसिया।।
एक दिन बहि जइहें जुलमी बयरिया से,
डाढ़ पात जइहें भहराय रे बिदेसिया।।
भभकि के चढ़लीं मैं अपनी अँटरिया से,
चारो ओर चितवों चिहाइ रे बिदेसिया।।
कतहूँ न देखीं रामा सइयाँ के सूरतिया से,
जियरा गइले मुरझाइ रे बिदेसिया।।
हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया से,
चोखे-चोखे बाड़े नयना कोर रे बटोहिया।
ओठवा त बाड़े जइसे कतरल पनवा से,
नकिया सुगनवा के ठोर रे बटोहिया।
दँतवा ऊ सोभे जइसे चमके बिजुलिया से,
मोंछियन भँवरा गुँजारे रे बटोहिया।
मथवा में सोभे रामा टेढ़ी कारी टोपिया से,
रोरी बूना सोभेला लिलार रे बटोहिया।।
करिके गवनवा, भवनवा में छोडि कर, अपने परईलन पुरूबवा बलमुआ।
अंखिया से दिन भर, गिरे लोर ढर ढर, बटिया जोहत दिन बितेला बलमुआ।
गुलमा के नतिया, आवेला जब रतिया, तिल भर कल नाही परेला बलमुआ।
का कईनी चूकवा, कि छोडल मुलुकवा, कहल ना दिलवा के हलिया बलमुआ।
सांवली सुरतिया, सालत बाटे छतिया, में एको नाही पतिया भेजवल बलमुआ।
घर में अकेले बानी, ईश्वरजी राख पानी, चढ़ल जवानी माटी मिलेला बलमुआ।
ताक तानी चारू ओर, पिया आके कर सोर, लवटो अभागिन के भगिया बलमुआ।
कहत 'भिखारी' नाई, आस नइखे एको पाई, हमरा से होखे के दीदार हो बलमुआ।
अपने लोभइले परदेस रे बिदेसिया।।
चढ़ली जवनियाँ बैरन भइली हमरी रे,
के मोरा हरिहें कलेस रे बिदेसिया।।
दिनवाँ बितेला सइयाँ वटिया जोहत तोरा,
रतिया बितेला जागि-जागि रे बिदेसिया।।
घरी राति गइले पहर राति गइले से,
धधके करेजवा में आगि रे बिदेसिया।।
आमवाँ मोररि गइले लगले टिकोरवा से,
दिन-पर-दिन पियराय रे बिदेसिया।।
एक दिन बहि जइहें जुलमी बयरिया से,
डाढ़ पात जइहें भहराय रे बिदेसिया।।
भभकि के चढ़लीं मैं अपनी अँटरिया से,
चारो ओर चितवों चिहाइ रे बिदेसिया।।
कतहूँ न देखीं रामा सइयाँ के सूरतिया से,
जियरा गइले मुरझाइ रे बिदेसिया।।
हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया से,
चोखे-चोखे बाड़े नयना कोर रे बटोहिया।
ओठवा त बाड़े जइसे कतरल पनवा से,
नकिया सुगनवा के ठोर रे बटोहिया।
दँतवा ऊ सोभे जइसे चमके बिजुलिया से,
मोंछियन भँवरा गुँजारे रे बटोहिया।
मथवा में सोभे रामा टेढ़ी कारी टोपिया से,
रोरी बूना सोभेला लिलार रे बटोहिया।।
करिके गवनवा, भवनवा में छोडि कर, अपने परईलन पुरूबवा बलमुआ।
अंखिया से दिन भर, गिरे लोर ढर ढर, बटिया जोहत दिन बितेला बलमुआ।
गुलमा के नतिया, आवेला जब रतिया, तिल भर कल नाही परेला बलमुआ।
का कईनी चूकवा, कि छोडल मुलुकवा, कहल ना दिलवा के हलिया बलमुआ।
सांवली सुरतिया, सालत बाटे छतिया, में एको नाही पतिया भेजवल बलमुआ।
घर में अकेले बानी, ईश्वरजी राख पानी, चढ़ल जवानी माटी मिलेला बलमुआ।
ताक तानी चारू ओर, पिया आके कर सोर, लवटो अभागिन के भगिया बलमुआ।
कहत 'भिखारी' नाई, आस नइखे एको पाई, हमरा से होखे के दीदार हो बलमुआ।
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