अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥ पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं। स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥ परबस जानि हँस्यो इन इंद्रिन निज बस ह्वै न हँसैहौं। मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥ |
Wednesday, March 20, 2019
अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥ पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं। स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥ परबस जानि हँस्यो इन इंद्रिन निज बस ह्वै न हँसैहौं। मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥ |
Subscribe to:
Posts (Atom)
अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
अब लौं नसानी, अब न नसैहों। रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥ पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं। स्याम रूप सुचि रुचिर कस...
-
पागल कहेला ना रे लोगवा पगल कहेला ना हम ता नैहर के बनि रसिलि कि लोगवा पागल कहेला ना बारह गज के चोलि सिलवइनी, साठ गज के साडी. तापर लोगवा ...
-
हम त खेलत रहनी अम्माजी के गोदिया कर गइल तबहि बिआह रे बिदेसिया छवरे महिना कहिके गइले कलकतवा बीत गइल बारह बारिस रे बिदेसिया अब त लगल मोरा सो...
-
yeh tanu mundana be mundana aakhir matti mein mil jana matti kahe kumhar ko be tu kyu khode mujhko koi bakht aisa aavega ki main gadhungi t...