Wednesday, March 20, 2019

अब लौं नसानी, अब न नसैहों।

अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥
पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥
परबस जानि हँस्यो इन इंद्रिन निज बस ह्वै न हँसैहौं।
मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥ 

No comments:

Post a Comment

अब लौं नसानी, अब न नसैहों।

अब लौं नसानी, अब न नसैहों। रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥ पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं। स्याम रूप सुचि रुचिर कस...