आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
इक ऐसे गगन के तले
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
इक ऐसे गगन के तले
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे – 2
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे – 2
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो…
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे – 2
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो…
जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आज़ाद गगन लहराए
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं – 2
सपनो मे पली हँसती हो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो…
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं…
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं – 2
सपनो मे पली हँसती हो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो…
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं…
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